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भारतीय परंपरा में पैर छूने का वैज्ञानिक कारण

भारतीय परंपरा में पैर छूने का वैज्ञानिक कारण

प्रणामः (संस्कृत, “नमस्कार, सम्मानस्वरूप झुकना “) का मतलब किसी वस्तु , स्वरुप (मूर्ति) या किसी व्यक्ति का “सम्मानजनक अभिवादन” करना या उनके आगे “श्रद्धापूर्ण झुकना” होता है।

Charan sparsh ka mahatva

 

आइये हम आपको 5 प्रकार के प्रणामों के बारे मैं बताते है :

  1. अष्टांग (Ashtanga , शरीर के आठ अंग) – घुटनों, पेट, छाती, हाथ, कोहनी, ठोड़ी, नाक और माथे के साथ जमीन को छूना।
  2. षष्ठाङ्ग (Shastanga , शरीर के छह अंग) – पैर की उंगलियों, घुटनों, हाथ, ठोड़ी, नाक और माथे के साथ जमीन को छूना।
  3. पञ्चाङ्ग (Panchanga , शरीर के पांच अंग) – घुटनों, छाती, ठोड़ी, मंदिर और माथे के साथ जमीन को छूना।
  4. दंडवत (Dandavat) – नीचे माथे को झुका और जमीन को छूना।
  5. नमस्कार / अभिवादन (Namaskar) – यह लोगों के बीच अभिवादन  सामान्य रूप है। दोनों हाथो को जोड़ कर माथे पर लगा कर और आगे झुकते हुए अभिनन्दन करना।

प्रणामः का एक रूप है चरणस्पर्श (Charanasparsha, पैरों को छूना)। भारतीय संस्कृति में माता-पिता, दादा दादी, बुजुर्ग रिश्तेदारों, शिक्षकों और संतों को सम्मान स्वरुप झुक कर अपने हाथो से उनके पैरों को छू कर आशीर्वाद लिया जाता है ।  हिंदू परंपरा कहती है कि बुजुर्गों के पैरों को छूकर, लोग शक्ति, बुद्धि, ज्ञान और प्रसिद्धि की आशीष मांगते है और बुजुर्ग व् संत अपने अच्छे कर्मो के फल के रूप में यह आशीर्वाद देते हैं।

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हिंदू धर्म की अनेको परम्पराओं के साथ पैर को छूने के पीछे भी वैज्ञानिक लाभ छुपा है। पैर छूने के फायदों की वैज्ञानिक व्याख्या

हमारे मस्तिष्क से शुरू होने वाली तंत्रिकाएं अपने पूरे शरीर में फैलती हैं ये तंत्रिकाओं या तार आपके हाथों और पैरों की उंगलियों में समाप्त होते हैं। जब आप अपने हाथों की उंगलियों में उनके विपरीत पैर की तरफ जुड़ जाते हैं, तो एक सर्किट का तुरंत गठन होता है और दो निकायों की ऊर्जा जुड़ी होती है। आपकी उंगलियों और हथेलियां ऊर्जा का ‘रिसेप्टर’ बनती हैं और दूसरे व्यक्ति के पैर ऊर्जा के ‘दाता’ बन जाते हैं।

आमतौर पर, जिस व्यक्ति के पैर आप छू रहे हैं वो बुजुर्ग या पवित्र (संत) है। पैर छूते वक्त (किसी के आगे श्रद्धापूर्वक झुक कर) आप अपने अहंकार का त्याग कर देते है। जब वे अपने सम्मान (और जिसे आपकी श्रद्धा कहा जाता है) को दिल से स्वीकार करते हैं, तो उनके दिल और मस्तिकः के सकारात्मक विचार और ऊर्जा उनके हाथों और पैर की उंगलियों के माध्यम से आप तक पहुँचती है ।

संक्षेप में, पूरा सर्किट ऊर्जा के प्रवाह को सक्षम बनाता है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा को बढ़ाता है, दो दिमागों और दिलों के बीच त्वरित संबंध पर स्विच कर रहा है। एक हद तक, यह एक हाथ से मिलकर और हग्स के माध्यम से हासिल किया जाता है। आपको एक अच्छी आत्मा के पैर को छूने के बाद भी महसूस करना चाहिए, बशर्ते आप इसे सही तरीके से करते हैं।

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सही ढंग से और अच्छी भावना के साथ पैर छूना चाहिए।  इसे समझने के लिए, हमें सबसे पहले किसी के पैर को छूने का सही तरीका पता होना चाहिए। पैर छूने के लिए :

  1. आपका सर दोनों हाथो के बीच में होना चाहिए
  2. अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को झुका कर (आदर्श रूप से अपने घुटनों को झुकाये बिना) सामने वाले के पैर को छूना चाइये, लेकिन आप घुटनों पर बैठ कर या ऊपर वर्णित ४ प्रकार ( अष्टांग, षष्ठाङ्ग , पञ्चाङ्ग , दंडवत ) से भी पैरों को छू सकते है
  3. अपने बाएं हाथ की उंगलियों को बड़े के दाहिने पैर को छूना चाहिए और आपके दाहिने हाथ को उनके बाएं पैर पर होना चाहिए।
  4. बड़े व्यक्ति को अब अपने दाहिने हाथ से आपके शीर्ष को छू कर आशीर्वाद देना चाहिए।

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क्या हमने अपनों से छोटो के पांव छूने चाहिए ?

आपका सचेतन मन आपको बताएं कि क्या सामने वाले व्यक्ति स्पर्श करने योग्य है। हिंदुओं सभी संन्यासी के लिए पवित्र होते हैं , भले ही वह उम्र में छोटे हों । इसलिए, जब आप किसी के सामने झुका रहे हैं, तो आप उनके शरीर को नहीं वरन उनकी आत्मा और आत्मतेज को देख रहे होते हैं।

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