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हिंदू धर्म की 5 विशेषताएं

हिंदू धर्म की 5 विशेषताएं


आगे बढ़ने से पहले मैं आपको यह बता देना चाहता हूं कि हिंदू धर्म भारतीय आध्यात्मिक विरासत,  सनातन धर्म और वैदिक परंपराओं को शामिल करता है |  इसे समझना किसी भी दूसरे धर्म को समझने से ज्यादा जटिल है क्योंकि इसके कई भाग है और हर एक भाग की अपनी एक व्यवहारिक विशेषता है |  तो आइए जानते हैं उन्हीं सभी विशेषताओं के बारे में जो इसे किसी भी दूसरे धर्म से भिन्न बनाती हैं |
यहां किसी भी दूसरे धर्म को छोटा दिखाने की कोशिश नहीं की गई है,  यह बस एक तुलनात्मक अध्ययन है जो व्यक्तिगत विचारों पर आधारित है |

दर्शन, धर्म और व्यवहारिक आध्यात्मिकता दर्शन के दृष्टिकोण से अगर आप हिंदुत्व को देखेंगे  तो आप पाएंगे की हिंदुत्व, भौतिकवाद से लेकर आदर्शवाद तक सारी दार्शनिक शिक्षाओं को इस तरह से शामिल करता है जिस तरह कोई भी दूसरी आध्यात्मिक प्रणाली नहीं करती |हिंदू धर्म के अंदर कई  अलग अलग धार्मिक दृष्टिकोण शामिल है | इतने अलग अलग दृष्टिकोण होने के बावजूद हिंदू धर्म बड़ी ही घनिष्टता से इन्हें अपने अंदर समा लेता है |अगर व्यवहारिक आध्यात्मिकता के दृष्टिकोण से देखा जाए तो हिंदू धर्म आध्यात्म की एक ऐसी प्रणाली है जो सिर्फ ब्लैक एंड वाइट ना होकर अनेक रंगों का मिश्रण है |

व्याख्या :  हिंदू धर्म एक ऐसी जीवन जीने की प्रणाली है जो आपको अपनी समझ के आधार पर महसूस हुए दृष्टिकोण को अपनाकर जीने की आजादी देती है | हिंदू धर्म आप पर कुछ थोपता नहीं है बल्कि आपको जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किस तरह से व्यवहार करना है उसका एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है | वह आपको आजादी देता है कि आप उसे अपनी समझ के आधार पर अपने जीवन में अपनाएं जिससे आप एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें |

हिंदू धर्म की प्रणाली :इसमें 6 जटिल भाग हैं:  न्याय,  वैशेषिक, मीमांसा, वेदांत, सांख्य और योग |जिस तरह दूसरे धर्म किसी एक पवित्र ग्रंथ या धर्म ग्रंथ पर आधारित होते हैं,  हिंदू धर्म की यह प्रणाली बिल्कुल अनूठी है | इसके प्रत्येक भाग का अपना विशेष वैज्ञानिक महत्व और विशेषताएं हैं |

व्याख्या : जिस तरह दूसरे घर किसी न किसी एक पवित्र ग्रंथ पर आधारित होते हैं, हिंदू धर्म उस तरह नहीं है |  अगर आप ध्यान से देखेंगे तो इसका कोई एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि एक पूरे प्रणाली है जिसमें वेद, उपनिषद, शास्त्र और उन की विभिन्न शाखाएं शामिल है |  इन सब को हिंदू धर्म के ग्रंथ कहा जा सकता है पर यह आपको किसी दूसरे धर्म ग्रंथ की तरह एक लकीर पर चलने की शिक्षा नहीं देते,  वरन यह आपको एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण देते हैं जो विभिन्न दार्शनिकों ने समय समय पर प्रकृति और उसके व्यवहार को समझ कर पाई है |  अगर आप पूरे हिंदू धर्म को समझना चाहते हैं तो आपको एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना ही होगा अन्यथा आप उसकी शिक्षाओं को ठीक से समझ नहीं पाएंगे और कुछ लोग इसमें अंधविश्वास का अपना दृष्टिकोण जोड़ देंगे | सवाल करना और जवाब की खोज, हिंदू धर्म का एक व्यापक सिद्धांत है |

सांख्य प्रणाली |यह एक सर्वमान्य प्रणाली है जो व्यवहारिक ज्ञान और सामान्य समझ के विज्ञान पर आधारित है | इसका मतलब यह हुआ की यह आपको अंधा नहीं बनाती,  और सिर्फ लिखे हुए पर विश्वास करना नहीं सिखाती बल्कि आपको आजादी देती है  कि आप अपने व्यवहारिक ज्ञान और सामान्य समझ का उपयोग करके किसी निष्कर्ष तक स्वयं पहुंचे हैं |

व्याख्या :  हिंदू धर्म की ज्यादातर आध्यात्मिक प्रणालियां व्यवहारिक ज्ञान और सामान्य ज्ञान की समझ पर ही आधारित है |  उदाहरण के लिए जब आपको ध्यान ( मतलब मेडिटेशन ) करने के लिए बोला जाता है  तो उसमें आपको अपने अंदर होने वाली हर छोटे से छोटे हलचल के प्रति सजग होने के लिए बताया जाता है | क्योंकि जब आप उन सूक्ष्म विचारों को अपने भीतर घटते हुए देखते हैं तो आपकी समझ उस विचार के भावार्थ को नहीं बल्कि विचार कैसे उत्पन्न होते हैं उसके प्रति सजग हो जाती है | इस तरह की प्रणाली आप को अधिकतर ध्यान करने वाली क्रियाओं में नजर आएगी |

हिंदू धर्म मानव की आध्यात्मिक जरूरत को बखूबी दर्शाता है |हिंदू धर्म मानव के आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बखूबी दर्शाती है, जिनमें प्रमुख हैं भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक और व्यवहारिकयह सभी वैज्ञानिक दृष्टिकोण हिंदू धर्म की विराट विरासत, साहित्य और परंपराओं से आते हैं |पृथ्वी पर दूसरी ऐसी कोई आध्यात्मिक प्रणाली नहीं है जो इतने प्रतिष्ठित तरीके से इन सभी मानव व्यवहारों को दर्शाती हो |

व्याख्या:  हिंदू धर्म सिर्फ एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण न होकर एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी उपलब्ध कराता है जिसमें मानव की विभिन्न मानसिक स्थितियों को जैसे की भावनात्मक, दार्शनिक, व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक को आधार बनाया जाता है | अगर आप हिंदू धर्म के साहित्य को ठीक से पढ़ें और उनकी परंपराओं को ठीक से समझें तो आपको मानव जीवन कि यह सारी मानसिक स्थितियां ठीक ठीक समझ आ जाएगी |  हिंदू धर्म में ऐसे साहित्यों की कोई कमी नहीं |  इसका एक पूरा संकलन आपको श्रीमद्भगवद्गीता में देखने को मिलता है जो मानव जीवन की विभिन्न स्थितियों पर आधारित है, और जीवन जीने की एक विशेष कला सिखाती है |

धर्म ग्रंथों की विरासत |धरती पर कोई दूसरा आध्यात्मिक सिद्धांत या धर्म इतने अधिक धर्म ग्रंथों को सहेजे हुए नहीं हैं जितना कि हिंदू धर्म है |यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें देवी देवताओं के स्वरुप को, मानव के स्वरूपों का सम्मान करते हुए समझाया जाता है |  इस धार्मिक प्रणाली में मनुष्य को भगवान से डरना नहीं समझाया जाता | अगर कहीं ऐसा किया जाता है तो यह मात्र एक विकृति है जिसका खंडन होना चाहिए | ऐसी विकृतियां दूसरे धर्मों में भी पाई जाती हैं | यह मानव जनित हैं धर्म जनित नहीं |

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